असं कसं प्रेम तुझं .....!!!

Started by कवि । डी....., April 14, 2014, 07:11:13 AM

Previous topic - Next topic

कवि । डी.....

असं  कसं  प्रेम  तुझं
ना  भुक  ना  तहान  आहे
तुला  भेटावया  आज
मन   माझं  व्याकुळ  आहे ...!!

असं  कसं  प्रेम  तुझं
फक्त   तुझाचं  ध्यास  आहे
तुला  पाहण्यासाठी  आज
मन  माझं  कासावीस  आहे ...!!

असं  कसं  प्रेम  तुझं
उद्योग  ना  दुसरा  व्याप  आहे
तुझ्यावर  प्रेम  करण्याचं
मला  फक्त   काम   आहे ...!!

असं   कसं  प्रेम   तुझं
तुझाचं  फोटो  ह्रदयात  आहे
तुझा  आवाज  ऐकण्याठी
मन  माझं  उतावीळ   आहे ...!!

असं  कसं  प्रेम  तुझं
मन  माझं   बेभान  आहे
फक्त  तु  तु  आणि   तु
एवढचं   त्याला   माहीत   आहे ...!!!


                । कवि-डी ।
                 स्वलिखीत
                 दि. 14.04.14
                 वेळ .सकाळी.  07. 10






vijaya kelkar

छान .. पण असं कसं प्रेम ? एकतर्फा कां?

vilas khetle

कविता छान आहे. प्रेमाचा विरह व्य्क्त केला आहे