तू नाहीस

Started by madhura, July 28, 2014, 10:14:07 AM

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madhura

तू नाहीस जीवनात तरी
जीवन अधुरं वाटत नाही
तुझ्याशिवाय एक क्षणही
मन माझं जगत नाही
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प्रीतीचे धागे विणतानांच
मनास माझ्या माहित होते
मार्ग आपले भिन्न जरी
प्रेमास कुठे कळत होते
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तुझं प्रेम अन आठवणी
यातचं मन अडकून पडतं
निद्रिस्त झाल्यावरही मी
तुलाच साद घालतं रहातं
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संजय एम निकुंभ