बसस्टॅडवर रोज मला !!!

Started by कवि । डी....., August 20, 2014, 05:23:42 PM

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कवि । डी.....

बसस्टॅडवर  रोज  मला  जाव  वाटतं
तिथ  बसून  सार्‍यांना  न्याहाळत  वाटतं  !!
             
तिथे  भेटतात  नवी  चेहरे , नवी  माणसं
काही  हसरी , काही पोरी , काही  बायामाणसं !!

बरचं काही  असतं  तिथ,  ना काही  उणे
काही  टोळकी,  काही  बेरकी , काही  थोर !!

काही  चोर,  काही उचापतीखोर , काही  फुकटाची
काही पुर्ण,   काही वन फोरतं,  अर्ध्या  तिकीटाची !!

रोज  इथे  नवा  बाजार , काही  होतात फुकट  बेजार
कधी  इथे  इंद्राची  अप्सरा , तर कधी  दिसते  लैला !!

मी  एक  त्यातलाच  आहे  पांढरपेशा  माणूस
वाटत  करावं  बरच  काही   जाऊ  दे  तोल !!

पण  काहीच  करता येत  नाही  म्हणून   
चुकून  सज्जन  राहीलेला  माणूस !!


            । कवि-डी ।
              स्वलिखीत
               दि. 20.08 .2014