* बेपरवाह मोहब्बत *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 20, 2014, 10:25:43 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

काश के तु मुंबई में होती
पास में बैठती,बाहोंमें आती
रिमझिम बरसात होती साथमें
ठंड भी लगती,मेरी उंगलीया तेरे
बालों से होकर चेहरेपर घुमती
सरसराते होठों से होंठों की चुम्मी होती
हमारी बेपरवाह मोहब्बत नजाने
किस हदसे गुजरती...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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Mumbai