मै भी तो वैसी ही हु ....

Started by Surya27, October 27, 2014, 10:37:39 PM

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Surya27

मै भी तो वैसी ही हु ...
जिस तरहा तुम्हारी अपनी मां....
जिस कि छाती को लगकर....
दुध पिया है तुमने ..
जब छुते हो किसी के पल्लू को ...
तो क्यू नही सोचते ....
की उसी पल्लू के नीचे दुध पिया है तुमने ..
फिर भी क्यू नही समझ सकते ..
अपनी मां की पीडा को ....

मै भी तो वैसी ही हु ...
जिस तरहा तुम्हारी बहेन ...
जिसकी राखी कलाई पे ..
बंधी होगी तुम्हारे ...
जब छुते हो किसी के हाथो को ...
तो क्यू नही सोचते ....
उसी हाथो ने बांधी है राखी कलाई पे तुम्हारे....
फिर भी क्यू नही समझ सकते ..
अपनी बहेन के दुख को ...

मै भी तो वैसी ही हु ...
जिस तरहा तुम्हारी पत्नी ...
जिसकी कोख मे ..
पलता है अंश तुम्हारा .....
जब छुते हो किसी के शरीर को ...
तो क्यू नही सोचते ...
उसी शरीर के किसी हिस्से मे पलता है अंश तुम्हारा .....
फिर भी क्यू नही समझ सकते ..
अपनी पत्नी के दर्द को .....

मै भी तो एक इन्सान ही हू.........
तुम्हारी तरहा ....
तुम्हारी मां की तरहा ....
तुम्हारी बहेन की तरहा ....
तुम्हारी पत्नी की तरहा ...
मै भी तो वैसी ही हु ...........................

............................................सूर्या