* मौहब्बत का आलम *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, November 21, 2014, 06:23:20 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

मौहब्बत का आलम अब ऐसा है
माशुक की चाह जैसे सजा है
हर बार टूटता है दिल
और आशिक फिर दिल लगाता है...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
Mob -7710908264
Mumbai.