तकदीर

Started by सतिश, November 21, 2014, 06:29:35 PM

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सतिश

निगाहे आपकी खामोशी बनकर
जिंदगी पर छाती रही..
यादे आपकी आंसू बनकर
पल्को पर आती रही...
चाहा तो था आपको हमने टूटकर,
न जाने क्यो ये तकदीर आपको
हमसे दूर ले जाती रही....

                                         --- सतिश