मौत से मीलकर ही शायद खुशी मील जाए....

Started by Shraddha R. Chandangir, November 26, 2014, 03:11:04 PM

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Shraddha R. Chandangir

मौत से मीलकर ही शायद खुशी मील जाएँ,
यु जीती जागती जिंदगी तो जैसे फासी का फंदा है

यहा खुन के रीश्तो मे भी फरेब की मीलावट है,
दील से कोई हालचाल पुछे, ऐसे लोग बोहोत चुनींदा है।

यु ना कीचड़ उछाल उसपे ऐ जालीम जमाना,
क्या पता कीसी लीबास मे वो खुदा का बंदा है।

तेरी नफरतो से क्या वासता उसका,
अपनी ही दुनिया मे उडता, वो एक जींदादील परींदा है।

कोई ख्वाहीशो से कह दो, जरा सब्र रखा करे
यु मायुस ना हो की कुछ सपने अभी जींदा है।
- अनामिका
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