दील लगाने की बात करते हो मीयाँ कैसी बात करते हो?

Started by Shraddha R. Chandangir, November 28, 2014, 03:43:51 PM

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Shraddha R. Chandangir

दील लगाने की बात करते हो मीयाँ कैसी बात करते हो?
जलते कोयले पे नंगे पाव चलने की बात करते हो.

पहलेही जमाने में नफरतों के बाजार लगे है,
तोल मोल से बोलकर भाव करनेकी बात करते हो.

बेईमानी की कमाई पे संगेमरमर का महल हे तुम्हारा,
हराम के पैसों पे अमिरी की बात करते हो.

मीट्टी का शरीर है, मीट्टी में ही मीलना है,
पल-दोपल की खुबसूरती पे घमंड की बात करते हो.

सामनेसे गले मिलती है पीठ में छुरा भोकती है
ये दोस्ती ही ऐसी है, तुम दुश्मनी की बात करते हो.

ईन अश्को से रीश्ता जैसे जनमभर रहेगा
जख्म के घाव भरते नही, तुम मुस्कूरानेकी बात करते हो.

- अनामिका
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