* दिदार *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, December 10, 2014, 04:40:14 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

उसकी आँखे कहती है मुझसे
तोड दो खामोशी दिल-ए-जुबान की
राहत मिल जाएगी मेरे दर्द को
और बूझ जाएगी अगन दिदार-ए-यार की...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
Mob-7710908264
Mumbai