दुनिया मे लगे जब लोगो के मेले थेहम तो कहीनाकही फीर भी अकेले थे।

Started by Shraddha R. Chandangir, December 21, 2014, 12:41:14 AM

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Shraddha R. Chandangir

दुनिया मे लगे जब लोगो के मेले थे
हम तो कहीनाकही फीर भी अकेले थे।

रह रह के दरवाजे पे दस्तक दीया करते है
दुख जैसे कतार मे गीनगीनके झेले थे।

वो रीश्तेदारी वो दुनियादारी कभी रास ना आई
कुछ खेल जो अपनों ने मीलके खेले थे।

ईश्कबाजी, बेवफाई क्या क्या बयान करे?
दील के कीसी कोने मे सेकडो झमेले थे।

मुसीबत में दूरदूर तक कोई नजर ना आया
यु तो मेरे पीछे कीतने काफीले थे।

कहने पे आऊ तोरात कम पडजाये
जिंदगी मे नजाने और कौनसे मसले थे?

- अनामिका
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