जो नफरत उसको दिखाई थी कुछ यु बेकार होगई जबान मेरे बस में रहीं और आँखे गद्दार होगई।

Started by Shraddha R. Chandangir, March 04, 2015, 02:03:45 PM

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Shraddha R. Chandangir

जो नफरत उसको दिखाई थी कुछ यु बेकार होगई
जबान मेरे बस में रहीं और आँखे गद्दार होगई।

बद्दुआओसे नवाजा होगा शायद किसीने मुझे
इश्क होगया मुझसे और उसकी मन्नत साकार होगई।

मशहूर करदीया मुझे इस कदर तेरे इश्क ने
मेरी बर्बादी की सुर्खियाँ मेरे गली का अखबार होगई।

मोहताज नही है ये किसी ताबिज या हकीम की
इस दिल पर लगी चोट भी मेरी तरह खुद्दार होगई।

जहाँ अलविदा वो कहगया कुछ फूलोंको थमाकर
वो मिट्टी होंठो से चूमकर मेरे लिए मजार होगई।

सर पर खून सवार था इन सन्नाटो को चीरनेका
इसी जद्दोजहद मे मेरी कलम तलवार होगई।
~ अनामिका
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