मालूम न था ए जिंदगी...

Started by Rajesh khakre, May 09, 2015, 01:09:24 PM

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Rajesh khakre

मालूम न था ए जिंदगी तु कैसे कैसे दिन दिखाएँगी
हँसाया था पलभर मुझे पलभर में रुलांएँगी

कितनी उम्मीदेँ रखी थी तुझसे ,सपनो की उड़ान थी
मालुम न था पलभर में ही सपने चकनाचूर कर देंगी

 कितनी सिद्दत से मैंने लाख कोशिशे की थी
देकर मेरे हातो में विफलता बेवफाई निभाएँगी

गम नहीं मुझे कैसे कहू झुठा, ए दिल आज भी रोता है
नींद नहीं इन आँखों में, कब तक तु ऐसे ही सताएँगी

लड़ता रहता हूँ हर मुसीबत से इसका मतलब ये तो नहीं
मै कुछ भी ना कहू तुझसे और तु हर बार मुझे अजमाएँगी
---राजेश खाकरे
Mo.7875438494
rajesh.khakre@gmail.com