* हुनर *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, July 29, 2015, 07:49:18 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

ना चाहत मुझे बादशाहत की
ना जरुरत किसीके मौहब्बत की
ये कहानी है मेरे हुनर की
जिसे आदत रही है हमेशा
गुरुरसे उठे सर झुकाने की.
कवी-गणेश साळुंखे.
Mob-7715070938