स्वयं को जान

Started by Ruchita Aglawe, August 29, 2015, 12:19:42 AM

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Ruchita Aglawe

स्वयं को जान
ना कर घमंड इस शाही शरीर का
वो तो मिटटी का पुतला है|
ना कर गर्व इस मन का
वो तो सदैव बदलती अवस्था है|
ना कर प्यार इस संसार से
वो तो मोह माया का जाल है| 
ढूंड ख़ुशी अपने आप मे
क्यों की सारा विश्वात्म तुझ् मे बसा है |     
ना बाहर ढूंड किसीको पुर्णत्व के लिए
भीतर जा और जान तू स्वयं मे पुर्णत्व है|   
                          - रुचिता आगलावे
                                    वर्धा

Thesunhi

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स्वयं को जान
ना कर घमंड इस शाही शरीर का
वो तो मिटटी का पुतला है|
ना कर गर्व इस मन का
वो तो सदैव बदलती अवस्था है|
ना कर प्यार इस संसार से
वो तो मोह माया का जाल है| 
ढूंड ख़ुशी अपने आप मे
क्यों की सारा विश्वात्म तुझ् मे बसा है |     
ना बाहर ढूंड किसीको पुर्णत्व के लिए
भीतर जा और जान तू स्वयं मे पुर्णत्व है|   
                          - रुचिता आगलावे
                                    वर्धा
Khup chhan...