Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Bhakti Kavita => Topic started by: aap on June 16, 2013, 02:23:31 PM

Title: धर्म संकट
Post by: aap on June 16, 2013, 02:23:31 PM
धर्म संकट

कुरुक्षेत्री उभा अर्जुन

युद्ध करण्या मनी विषाद

झाला असे गळीत गात्र

हातचे गळे धनु गांडीव

आप्त , गुरुजन पाहून

वाटे घ्यावा संन्यास

सारथी त्याचा पुरषोत्तम

कुंतीपुत्रा करी उपदेश

करी तू क्षत्रियाचे कर्म

जेथे सत्य तेथे धर्म

                    सौ . अनिता फणसळकर