मन चिबं चिबं शहारुन,
गंध मातीत नवा दरवळला...
छेडून प्रीत सुगंध नवा,
मनास माझ्या बिलगुन गेला...
गहिवरला हा जीव वेडा,
पाहता सरीत भिजता तुजला...
कळी मनाची उमलून आली,
सुगंध वेडा दुरदेशी गेला....!!
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©स्वप्नील चटगे.
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