Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Gambhir Kavita => Topic started by: durga on October 24, 2014, 05:26:56 PM

Title: सोचो तो जरा .......
Post by: durga on October 24, 2014, 05:26:56 PM
मै भाईदूज नहीं मनाऊंगी....

क्यूकी कही पर
मुझ जैसा कोई रो रहा है
सिसक रहा है
क्यूकी तुम जैसा कोई
उसकी इज्जत के साथ खेल रहा है ।
सरे आम उसे नंगा कर रहा है

कहा जा रही है इंसानियत
शर्मसार हो रही है एक बहन की इज्जत
कहा गया वो राखी का बंधन
कहा गया वो भाईदूज का प्यार
क्या ये बंधन इतने कमजोर हो गए
की आज जिसकी पूजा करनी हो
उसकी इज्ज़त नीलम कर रहे है ।
।।।।।।।

भाईयो - क्या आप ये कर सकते है ???????

नारी को सन्मान दे
उसकी इज्ज़त का लिहाज करे
ताकि वो  ना डरे ,
ना सहमे
खुली हवा मे वो भी खुल के साँस ले
नारी है तो जीवन है
नारी माँ है नारी सृष्टि है
अगर उसका अपमान करोगे तो
उस के प्रकोप से कौन बचायेगा

नारी दुर्गा है नारी लक्ष्मी है
पूजा नहीं पर आदर करना है

सही मायनो मे तब भाईदूज की
शान बढ़ेगी
और कोई निर्भया किसी की वासना का शिकार न
होगी ।
और फिर गर्व से मै
भी भाईदूज मनाऊँगी ।।।

                       दुर्गा वाडीकर
                           7038922384
Title: Re: सोचो तो जरा .......
Post by: Shraddha R. Chandangir on October 24, 2014, 05:45:58 PM
supperlike (Y)