कौन देश के लिए जिया था?
किसने देश का द्रोह किया?
दो दिन में ही सारे देश ने,
परख लिया और जान लिया ॥
कौन यहाँ पर साथ में किसके?
बड़ा ज़नाजा किसका था?
आस्तीन के साँपो का झुंड,
किसे बचाने निकला था?
किसने आतंकी को अपना,
अम्मी अब्बु मान लिया?
दो दिन में ही सारे देश ने,
परख लिया और जान लिया ॥
कितनी लाशे, किसकी लाशे,
कत्ल किया वो क्या जाने?
जिसका अपना मरा ना कोई,
अपनो का दुख क्या जाने?
चले बचाने देशद्रोही को,
न्याय को अँधा मान लिया,
दो दिन में ही सारे देश ने,
परख लिया और जान लिया ॥
हाँ ये मेरा देश है लोगो,
जो कलाम पर रोता है,
जो हमीद के बलिदानो को,
यादों में संजोता है,
जो अड़ जाये अपनी पर तो,
ठान लिया बस ठान लिया,
दो दिन में ही सारे देश ने,
परख लिया और जान लिया ॥
कौन देश के लिए जिया था?
किसने देश का द्रोह किया?
दो दिन में ही सारे देश ने,
परख लिया और जान लिया ॥
अमित तिवारी