मतलबी इस दुनिया मेँ
कौन किसी को
याद रखता है
मतलबी
इस दुनिया मेँ
कौन
किसी की सांसोँ का
हिसाब रखता है
मतलबी
इस दुनिया मेँ
कौन
यहाँ रिश्तोँ की
परवाह करता है
मतलबी
इस दुनिया मेँ
आज के दौर मेँ
सिर्फ़ व सिर्फ़
एक
हिसाब - क़िताब
चलता है
चाँदी सोने और
चंद सिक्कोँ की
मतलबी
इस दुनिया मेँ
रोक़ड़ोँ के
धागोँ से ही
रिश्ते बुने जाते हैँ
वरना
सब कुछ बेमानी
रिश्ते , यादेँ . . . !
- कुन्दन श्रीवास्तव