Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Shraddha R. Chandangir on May 08, 2016, 11:02:27 PM

Title: नजरों में मेरी जलील नहीं हुआ मैं
Post by: Shraddha R. Chandangir on May 08, 2016, 11:02:27 PM
माना इस दुनिया की हिसाब से काबिल नहीं हुआ मैं
ये भी सच हैं की नजरों में मेरी, जलील नहीं हुआ मैं।
.
मजबूरी के नक्षेकदम पे, चलने से खुद्दारी बेहतर थी
तनहाई को अपना लिया, पर बुजदिल नहीं हुआ मैं
.
मुकद्दर से हमेशा हारकर भी, सब्र मेरा कायम हैं
दिल की तमाम हसरतों का,  कातील नहीं हुआ मैं
.
मोहब्बत भी मियाँ अपनी, कुछ उसूलों वाली ही रहीं
जहाँ बात मेरी अना पर आईं, तब्दील नहीं हुआ मैं।
~ अनामिका