II शुभ दीपावली II
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मित्रो,
आज दिनांक-०२.११.२०२१-मंगलवार है. दीपावली की शुरुवात हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी -हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दीपावली कि अनेक हार्दिक शुभेच्छाये. आज का दिन " धनतेरस "है. आईए पढते है, दीपावली की एक कविता.
आज के समय में दीपावली को लोग बम पटाखों से मनाते हैं, अपने रिश्तेदारों के यहाँ मिठाइयाँ पहुंचाते है उन्हें तोहफे देते है जैसे सूखे मेवे, मिठाइयां, कपड़े आदि। पुराने जमाने में ऐसा नहीं होता था। लोग अपनी दिवाली मनाने के लिए बम पटाखों के इस्तेमाल की जगह आपस के लोगों को दिवाली की कविता भेजते थे। सभी लोगों को दीपावली पर छोटी हिंदी कविताएं पढ़ना और अपने सभी रिश्तेदारों, मित्रों आदि में भेजना बहुत पसंद है।
आज के समय में भी जो घर के बड़े लोग है उन्हें दिवाली पर कविता बोलना और सुनना पसंद है। सभी राज्य में बोली जाती है। छोटे बच्चों के स्कूल आदि में दीपावली के त्यौहार पर हिंदी कविता बोली जाती है। बच्चों के विद्यालय में कविता का सम्मेलन भी होता है। लोगों को दीपावली कविताएं में बहुत ही आनंद आता है। दीपावली पर बच्चों के लिए कविताएं ही नहीं बड़ो के लिए भी दिवाली की सबसे अच्छी कविता लिखी गयी है।
मन से मन का दीप जलाओ
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मन से मन का दीप जलाओ
जगमग-जगमग दिवाली मनाओ
धनियों के घर बंदनवार सजती
निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती
मन से मन का दीप जलाओ
घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ
घर-घर जगमग दीप जलते
नफरत के तम फिर भी न छंटते
जगमग-जगमग मनती दिवाली
गरीबों की दिखती है चौखट खाली
खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते
आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते
काहे की कैसी मन पाए दिवाली
अंटी हो जिसकी पैसे से खाली
गरीब की कैसे मनेगी दीवाली
खाने को जब हो कवल रोटी खाली
दीप अपनी बोली खुद लगाते
गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते
अमीरों की दहलीज सजाते
फिर कैसे मना पाए गरीब दिवाली
दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर
वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां
पटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों को
वही फूटा करती आतिशबाजियां
यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट
सबसे अच्छी मनती उसकी दिवाली
हजारों दीप जगमगा जाएंगे जग में
भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे
दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे
आत्मा को नव आलोक से भर देगें
फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं
सजाते जिंदगी की वलियां रोज है
कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता
दिन होने पर सोच विवश हो जाते
दीपावली की शुभकामनाएं..!
(साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीपरिचय.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.11.2021-मंगळवार.