II ओम गं गणपतये नमः II
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मित्र/मैत्रिणींनो,
आज मंगळवार. श्री गणेश वार. आज ऐकुया श्री गणपती भक्ती-काव्य . या भक्तीकाव्यIचे बोल आहेत- "जय गिरिजात्मक"
गणपती भक्ती-काव्य
जय गिरिजात्मक
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जय गिरिजात्मक सिद्धी विनायक जय जय मयूरेश्वरा I
बल्लाळेश्वर वरद विनायक जय जय विघ्नेश्वरा I
जय चिंतामणी जय रांजणाच्या महागणपती सर्वेश्वरा II1II
अष्टविनायक म्हणून नांदसी मऱ्हाटीच्या नगरी I
पावन करिशी मंगल करिशी नटनाट्य कलाकुसरी I
वंदन करितो आधी तुजला शिवपार्वती कुमरा II2II
लखलखतो मुक्तहार अंगावर केशरिया I
शोभविती रत्नमणी किरीट कंकणी घागरिया I
तेजःपुंज रूप तुझे ते दाखवी या पामरा II3II
फरश करी दुष्टानाश कमल करी संजीवना I
सत्त्व पाही करी अंकुश करी मोदक मधुरमना I
विद्याधन संपदासी आशिष द्या करुणाकरा II4II
कवी- वसंत बागुल
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(साभार आणि सौजन्य-इ साहित्य.कॉम)
(संदर्भ-चंद्रकोर कविता संग्रह)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.11.2021-मंगळवार.