Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on January 14, 2022, 02:02:43 AM

Title: II मकर-संक्रांति II-निबंध-क्रमांक-2
Post by: Atul Kaviraje on January 14, 2022, 02:02:43 AM
                                        II मकर-संक्रांति II
                                          निबंध-क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार है. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. "तिल-गुड के लड्डू खाइये, मिठी मिठी बात बोलिये". आईए, इस पावन पर्व पर पढते है, मकर संक्रांतीपर विशेष लेख,महत्त्व, पूजा विधी,कथा-कहानी,निबंध,शुभेच्छाये,सदिच्छाये,शुभकामनाये एवं अन्य जानकारी  .
     
     दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। स्वास्थ्य के नजरिये से देखा जाये तो यह बहुत शुभ माना गया है। इसके साथ ही दिनों के समय में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार हर्ष और उल्लास भी अपने साथ लेकर आता है। कई जगहों पर इस दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है और पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है। बड़े और बच्चें बड़े ही आनंद और जोश के साथ मनाते हैं।

                  मकर संक्रांति का पर्व मुझे क्यों अच्छा लगता है?---

     यह एक ऐसा दिन होता है जिस दिन आकाश में रंगबिरंगी पतंगों से भरा होता है। बच्चों में पतंग उड़ाने का बहुत उत्साह होता है, जो बच्चों में 10-15 दिन पहले ही देखी जा सकती हैं। सभी बच्चे इस दिन के लिए तैयारी पहले से ही कर पतंगे, मांझे इत्यादि खरीदकर घरों में रख देते है। इस दिन बहुत लोग स्नान के लिए कुछ धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार आदि गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान करते है।

     इस दिन मेरे घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करने के लिए जाते है। स्नान के बाद नए कपड़े पहनते है। स्नान करने के बाद मैं सूर्य देव को जल चढ़ता हूँ, उनकी पूजा और उन्हें गुड़, चावल और तिल से बनी चीजों का भोग लगाता हूँ और अच्छी फसल पैदा करने के लिए सूर्य देव का धन्यवाद और उनकी पूजा करता हूँ। फिर उसके बाद मैं गुड़ और तिल से बनी चीजों को खता हूँ और पैदा हुयी नई चावल से बनी चीजों का भी सेवन करता हूँ।

     दोपहर तक नई फसल के चावल से खिचड़ी बनाई जाती है जिसमें तरह-तरह की सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है। हम सब मिलकर खिचड़ी को देशी घी या दही के साथ मिलाकर खाते है। मुझे पतंग उड़ाना बहुत ही पसंद है तो मैं अपनी पतंगों के साथ छत पर चला जाता हूँ और देर शाम तक पतंगबाजी करता हूँ।

                      महाकुंभ मेले का आयोजन---

     मकर संक्रांति के इस पवित्र दिन नदियों में स्नान करने की मान्यता है। इसलिए लोग स्नान के लिए गंगा के घाटों पर जाते है। इसे एक मेले के रूप में भी आयोजित किया जाता है जिसे अर्ध कुम्भ और महाकुंभ मेले का नाम दिया जाता है। वाराणसी में हर वर्ष अर्ध कुम्भ का मेला लगता है और प्रयाग के संगम पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यह महाकुंभ क्रमशः प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के घाटों पर महाकुंभ पर्व के रूप में मनाया जाता है।

     ऐसी मान्यता है की इस महाकुंभ में स्नान से आपके वर्षों के पाप धूल जायेंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह मेला मकर संक्रांति के दिन ही शुरू होता है और एक माह तक रहता है।


                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीकीदुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2022-शुक्रवार.