II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
स्पीच क्रमांक-5
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मित्रो,
आज दिनांक-१९.०२.२०२२-शनिवार, छत्रपती श्री शिवाजी महाराज जयंती है. "छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस के अवसर पर ही हर साल 19 फरवरी को भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। यह साल इस महान मराठा की 391वीं जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने तो इस दिन को राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस सु-अवसर पर मेरी अनेक हार्दिक शुभेच्छाये . आईए इस सुनहरे दिवस पर पढते है लेख,निबंध,भाषण,शुभेच्छाये,स्टेटस,कोट्स,शायरी,सु-विचार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.
छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के लिए स्पीच
यह अवकाश गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। वह महाराष्ट्र में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं और न केवल उनके नाम पर कई सार्वजनिक इमारतें हैं, बल्कि कई लोगों द्वारा उन्हें एक निंदा भी माना जाता है। शिवाजी जयंती को कई रंगीन परेडों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है, जो उनके जीवन का इतिहास बताते हैं। इस दिन प्रमुख सरकारी अधिकारियों द्वारा दिए गए उनके महत्व पर कई भाषण भी हैं।
शिवाजी के बारे में जरूरी जानकारी
शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। राष्ट्र को विदेशी और आतताई राज्य-सत्ता से स्वाधीन करा सारे भारत में एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता के अनन्य पुजारी वीर प्रवर शिवाजी महाराज ने भी किया था। इसी प्रकार उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। महाराणा प्रताप की तरह वीर शिवाजी राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे। आओ जानते हैं श्रीमंत छत्रपति वीर शिवाजी के बारे में।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में शिवनेरी (महाराष्ट्र) में हुआ था। शिवाजी के पिता शाहजी और माता जीजाबाई थी। वे एक भारतीय शासक थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। यूं तो शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता है, पर यह सत्य इसलिए नहीं कि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे तथा अनेक मुस्लिम सरदार और सूबेदारों जैसे लोग भी थे।
मुस्लिम विरोधी नहीं थे शिवाजी:
शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता रहा है, पर यह सत्य इसलिए नहीं कि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे ही, अनेक मुस्लिम सरदार और सूबेदारों जैसे लोग भी थे। वास्तव में शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था। 1674 की ग्रीष्म ऋतु में शिवाजी ने धूमधाम से सिंहासन पर बैठकर स्वतंत्र प्रभुसत्ता की नींव रखी। दबी-कुचली हिन्दू जनता को उन्होंने भयमुक्त किया।
छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में
शिवाजी भोसले एक भारतीय योद्धा-राजा और भोंसले मराठा कबीले के सदस्य थे। शिवाजी ने बीजापुर की गिरती हुई आदिलशाही सल्तनत के एक एन्क्लेव को उकेरा, जिसने मराठा साम्राज्य की उत्पत्ति को चिह्नित किया। 1674 में, उन्हें औपचारिक रूप से रायगढ़ में क्षेत्र के छत्रपति (सम्राट) के रूप में ताज पहनाया गया।
--Written by - जनसत्ता ऑनलाइन
--Edited by - रुपम सिन्हा
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(साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-जनसत्ता.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.02.2022-शनिवार.