"वर्षा ऋतु कविता"
कविता-पुष्प-68
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मित्रो,
आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.
"बारिश का दिन"
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आख चुपड़े है आकाश अपने चेहरे पर
तर हुई खड़ी है क्रेन बन्दरगाह में
लगातार बारिश में
बारिश का दिन
कठिन निकलना घर से बाहर
जैसे अचेत हो चुकी हैं इच्छाएँ
जैसे नियन्त्रण खो चुकी चरखी तागे पर
जो खुलता चला जाता है
अंतहीन समय में किसी पतंग से बंधा
दूर से देखता सोचता हूँ
कठिन है धूप का निकलना अब
बात से बात निकली तो
दाने-दाने पे खाने वाले का नाम
आज के दिन बारिश के नाम,
कपड़े धोने का दिन आज
--मोहन राणा
(27.11.1992)
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(संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
(साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.09.2022-गुरुवार.