Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on November 02, 2022, 09:02:11 PM

Title: निबंध-क्रमांक-65-समय का सदुपयोग पर निबंध
Post by: Atul Kaviraje on November 02, 2022, 09:02:11 PM
                                      "निबंध"
                                    क्रमांक-65
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "समय का सदुपयोग पर निबंध"

समय का सदुपयोग पर निबंध – Samay ka sadupayog Essay in Hindi--
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     आम जिन्दगी का सबसे बहुमूल्य शब्द है,समय | यह एक मात्र शब्द है, जो व्यक्ति के जन्म से उसकी अंतिम सास तक उसके साथ होता है | परन्तु बदलते ज़माने के साथ इस शब्द का महत्व ,लोगों ने बदल सा दिया है | बहुत ही चर्चित वाक्य है –" हमे समय नहीं मिला | "

     कभी यह सोचा है कि, ऐसा क्यों हो रहा है | यदि कभी इस विषय पर सोचा जाये , तब हमे पता चलेगा की बदलते वक्त के साथ हमने खुद को इतना बदल दिया है कि, हम एक पल पीछे पलट कर देखे तो पता चलेगा कि, हमने तो अपनों को ही खो दिया है | या यह भी कहा जा सकता है कि, हमने स्वयं को खो दिया है तो भी, अतिश्योक्ति ना होगी |

     क्या समय में कोई परिवर्तन हुआ है ? नही, परिवर्तन इंसान में हुआ है | बदलती सदी के साथ इंसान बदल गया है| एक बार हम सोंचे कि, पहले जब हमारे पूर्वज हुआ करते थे तब ,कभी इस तरह की समस्या आती थी ? 24 घंटे तब भी थे, आज भी वो ही 24 घंटे है | समय के इस चक्र में परिवर्तन नही हुआ है| वह तब से अब तक, निरंतर चल रहा है |

     बीसवी सदी पूर्व ,कभी ऐसी समस्या नही आती थी कि, लोगो के पास समय नही हुआ करता था| जबकि ,तब सुख-सुविधा की कोई वस्तु उपलब्ध नही हुआ करती थी| मीलो दूर यात्रा करने के लिये ना ही, यातायात के साधन उपलब्ध होते थे , ना ही मनोरंजन के कोई साधन , ना ही विलासिता के कोई और साधन उपलब्ध थे| तब काम करने के लिए रात-रात भर जागना नही होता था|

     वास्तव में, तब जीवन ज्यादा सरल हुआ करता था क्यों कि, उस समय व्यक्ति का "जीवन घड़ी का गुलाम" नही था|

     बदलते वक्त के साथ ,जैसे-जैसे मशीनों का आविष्कार हुआ, कल-कारखानों का निर्माण हुआ, नौकरी का दौर शुरू हुआ, समय भागता चला गया| जिन्दगी मानो रेल की पटरी से तेज चलने लगी| पैसे कमाने की इस दौड़ में, सुख-सुविधा का सामान जुटाने में, व्यक्ति ने स्वयं को इतना व्यस्त कर दिया है कि, उसे यह तक नही पता कि, जिस परिवार या स्वयं लिए वह यह सब कर रहा है, उनसे तो वो बहुत दूर हो चुका है|

                    ऐसा सब क्यों हो रहा है?

     क्या सही माइने में मशीन बनाते-बनाते और उसके साथ काम करते हुए हम भी बिल्कुल उसी तरह बन गये है? हमे आज फिर से जरुरत है कि हम कुछ पल के लिए रुके, और देखे की आखिर जो अनमोल जीवन भगवान ने हमे दिया है , हम उसे व्यर्थ न गवाये |

--समय को जानने के लिए बहुत छोटा सा गाणित लगाए, सिर्फ एक दिन का –

24 घंटे – 8 घंटे सोने के, 2 घंटे नित्यकर्म के, 6-8 घंटे जॉब के ,

     बचा जो समय है, वो हमारे लिए है | मात्र 6-8 घंटे अर्थात् , जिन्दगी के 30-40 प्रतिशत भाग हमारे हाथ में जो सिर्फ, हमारे लिए है| हम अपने इस जीवन में वह सभी करे, जिसके लिए हमे जन्म मिला है| यह सब तभी होगा जब हम अपने,सही और सुचारू रूप से करेंगे|

     देखा जाये तो, मनुष्य को बहुत छोटी सी ज़िन्दगी मिली है| उसे व्यर्थ गवाने के बजाये, पूरी सूझ-बुझ के साथ हर एक दिन की योजना बना कर जिये , इससे हमारी जिन्दगी बहुत आसान और खुशनुमा हो जाएगी |

--AUTHOR UNKNOWN
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी लर्निंग.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.11.2022-बुधवार.