"अंतर्द्वंद्व"
---------
मित्रो,
आज पढते है, "अंतर्द्वंद्व" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है- "कुछ दावे और उनकी सच्चाइयाँ"
कुछ दावे और उनकी सच्चाइयाँ--
----------------------------
1
दावा :वह कहता था कि वह हमेशा दूसरों के बारे में सोचता है...
सच्चाई :पर उसने य़ह कभी नहीं बताया कि वह हरदम उनके बारे में बुरा सोचता है।
2
दावा :वह कहता है कि वह खुद की परवाह नहीं करता।
सच्चाई :दरअसल वह आलसी है। जो अपनी परवाह नहीं कर सकता, वह दूसरों की क्या करेगा??
3
वह कहता है - कि मैं तुम्हारे लिए ईश्वर से प्रार्थना करूँगा।
सच्चाई :सब कहने की बातें हैं... वो तो बस बहती गंगा में हाथ धोने के इरादे से मित्रों के साथ थोड़ी सहानुभूति जताने के लिए उसके पास गया था।
4
वह कहता था तुम ही तो मेरे सच्चे मित्र हो...
सच्चाई :दरअसल वह उससे अपना गृहकार्य पूरा करने के लिए उसे थोड़ा चढ़ा देता था।
5
वह कहता है कि वह बहुत दयालु है.. भूखे गरीबों की सेवा करके उसे आनंद की अनुभूति होती है।
सच्चाई : दरअसल फेसबुक पर बहुत दिनों से उसे लाइक और कमेन्ट आने बंद हो गए थे तो गरीब की सेवा करते हुए वीडियो बनाना जरूरी हो गया था।
6
वह सोशल मीडिया पर हर किसी की पोस्ट को वह लाइक करता है।
सच्चाई :उसे अपने पोस्ट पर भी तो लाइक और कमेन्ट चाहिए इसलिए दूसरों की पोस्ट लाइक करना उसकी मजबूरी है।
--सुधा सिंह व्याघ्र
(Friday, October 30, 2020)
------------------------------
(साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अंतर्द्वंद्व.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
---------------------------------------------
-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.