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मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on January 19, 2023, 10:05:06 PM

Title: निबंध-क्रमांक-143-किसान आंदोलन
Post by: Atul Kaviraje on January 19, 2023, 10:05:06 PM
                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-143
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "किसान आंदोलन (Farmer Protest)"

                         किसान आंदोलन (Farmer Protest)--
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     किसानों को यह भी डर है कि बड़े खुदरा विक्रेता और कॉरपोरेट्स पैसे की ताकत के साथ कृषि क्षेत्र पर हावी हो सकते हैं।

     किसानों को संदेह है कि एपीएमसी अनुपलब्ध हो सकते हैं और भविष्य में व्यापार को अन्य वैकल्पिक प्लेटफार्मों पर ले जाने पर उन्हें बंद करना पड़ सकता है।

     किसानों को डर है कि आने वाले दिनों में ये प्राइवेट मंडियां बीएसएनएल और एमटीएनएल की तरह बेमानी हो जाएंगी। 

     मूल्य आश्वासन विधेयक मूल्य निर्धारण के लिए कोई तंत्र निर्धारित नहीं करता है। इस प्रकार किसानों में यह आशंका है कि निजी कारपोरेट घरानों को खुली छूट देने से किसानों का शोषण हो सकता है। 

     आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश आवश्यक वस्तुओं की सूची से दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को हटा देता है। 

     इस प्रकार संशोधन इन खाद्य वस्तुओं के उत्पादन, संचलन, भंडारण और वितरण को नियंत्रणमुक्त करता है। 

              कृषि सुधार बिल से किसानो को लाभ--

     कृषि सुधार कानून 2020 में किसानों के लिए खुले बाजार में अपनी उपज बेचने के लिए एक वैकल्पिक मंच के रूप में एक मार्ग की परिकल्पना की गई है। 

     अब किसान अपने उत्पाद किसी को भी और कहीं भी खुले तौर पर बेच सकते हैं और उन्हें अधिक कीमत मिल सकती है।

     ऐसे व्यापार क्षेत्रों में लेनदेन पर कोई एपीएमसी बाजार शुल्क या उपकर नहीं होगा। एपीएमसी भी अपना कामकाज जारी रखेगी। 

     अब एपीएमसी को इन वैकल्पिक प्लेटफार्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी और अब किसानों के पास अपनी कृषि उपज बेचने का विकल्प है। 

     ये बिल किसानों को अपनी उपज सीधे कॉरपोरेट या निर्यातक को फार्म से थोक में खरीदने के लिए बेचने का अधिकार देते हैं।

     कृषि सुधार कानून 2020 खाद्यान्न की वर्तमान एमएसपी आधारित खरीद को समाप्त नहीं करता है। 

     एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली जारी रहेगी और किसान अपने फसल उत्पादों को मौजूदा एमएसपी पर मंडी में भी बेच सकते हैं।

              सरकार कृषि सुधार कानून क्यों लाई--

     समय-समय पर सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। 

     सरकार ने कृषि क्षेत्र को बदलने और किसानों की भलाई के लिए इन कृषि विधेयकों को पेश किया है।

     सरकार द्वारा यह कदम कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उठाया गया है।

     ऐसा माना जाता है कि कृषि क्षेत्र को मुक्त करने से बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण बेहतर मूल्य निर्धारण में मदद मिलेगी। 

     जब किसान अपने उत्पाद सीधे कॉरपोरेट्स और निर्यातकों को बेचेंगे, तो यह कॉर्पोरेट क्षेत्र को कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे किसानों को आधुनिक तकनीक की बेहतर पहुंच भी मिलेगी और किसानों को इसका लाभ मिलेगा।

                       उपसंहार--

     कृषि सुधार कानून लाने के पीछे सरकार बस इतना चाहती थी कि किसान अपने अनाज को बेचने हेतु जगह जगह न भटके।

     सरकार कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र का पर्दापण इसलिए की ताकि किसान अपनी फसलो का उचित मूल्य प्राप्त करें साथ ही किसी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में उचित कार्यवाही का भी प्रावधान था।

     इन सबके बावजूद किसानो ने इस बिल को अच्छी तरह से समझा नहीं और कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रभाव के डर से भारी आंदोलन किया।

--मिनू सैनी
( Aug 11, 2022)
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                        (साभार एवं सौजन्य-माय हिंदी लेख.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.01.2023-गुरुवार.
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