Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on February 19, 2023, 11:01:28 AM

Title: II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II-कविता-2
Post by: Atul Kaviraje on February 19, 2023, 11:01:28 AM
                            II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०२.२०२३-रविवार है I छत्रपती शिवाजी महाराज की आज तारीखवार जयंती है I छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में शिवनेरी (महाराष्ट्र) में हुआ  था। शिवाजी के पिता शाहजी और माता जीजाबाई थी।  वे एक भारतीय शासक थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रियोंको छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती की हार्दिक शुभकामनाये I आईए, पढते है, शिवाजी महाराज की कुछ कविताये-रचनाये--

     19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था. माता जीजाबाई और पिताजी शाहजी भोसले थे. मुगलों की सामन्ती प्रथा और प्रजा पर किये जा रहे अत्याचारों से उनके दिल में मुगल विरोध ने बचपन में ही जन्म ले लिया. एक छोटे से सेनापति के बेटे ने वीरता, हौसले और बुद्धिमता के बल पर बड़े मराठा साम्राज्य को खड़ा कर मुगलों को बारम्बार धुल चटाई, हिन्दवी मराठा सम्राट शिवाजी का नाम आज भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता हैं. इस लेख में हम आपके साथ महाराज शिवाजी पर लिखी बेहतरीन हिंदी कविताएँ शेयर कर रहे हैं.

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19 फरवरी 1630 जन्मे महाराष्ट्र दुर्ग शिवनेरी,
धन्य हुई धरती भारत की हम करते जयकार तेरी।
जिसका नाम नहीं मरता हर दिल में बस जाता है,
ऐसा वीर पुरूष क्षत्रपति शेर शिवाजी कहलाता है।
जिसके दम पर भगवा ऊंचे गगन में लहराता है,
ऐसे वीर शिवा जी को ये रोहित शीश झुकाता है।
रण में देख जिसे दुश्मन थर थर कांप जाता है,
मूछों पर दे ताव जो वो क्षत्रिय कहलाता है।
वीर शिवाजी सिर्फ नाम नहीं वीरता की अमर कहानी है,
वह भारत का वीर क्षत्रियता की अमिट निशानी है।
आत्मबल सामर्थ्य देता ऐसा नाम तुम्हारा है,
भगवा जीवित है शान से ये उपकार तुम्हारा है।
बुलन्द हौंसले से एक साथ कई शत्रु मार गिराते थे,
दुश्मन की छाती में ऐसे भगवा गाड़ के आते थे।
मुगल सल्तनत को जिसने चूर चूर बरबाद किया,
बरस पड़े काल बन मुगलों का जीना मुहाल किया।
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--रोहित सुलतानतुरी
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ही हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.02.2023-रविवार.
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