"लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,
आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "अरमान मलिक, पलक मुछाल" की आवाज मे "गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल" फिल्म का गीत.
"ये मन की डोरी"
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जिस पल से देखा है तुझको
मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो
तेरे हद से निकल गया रे
हो जिस पल से देखा है तुझको...
तू जहाँ वहाँ ले के जाए
ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी
ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी
ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी
ये मन की डोरी
रे रे रे
तुझ संग बाँधी
ये मन की डोरी
हो दाँतों से काटे
हाथों से खींचे
डोर ये तेरी मेरी
तोड़े ना टूटे
हो धूप के दिन हो या
सर्दी की रातें
डोर ये तेरी मेरी
छोड़े ना छूटे
तू जहाँ वहाँ ले के जाए...
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मन की डोरी - Mann Ki Dori
Movie/Album: गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल (2020)
Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: कौसर मुनीर
Performed By: अरमान मलिक, पलक मुछाल
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(साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
(संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.02.2023-शुक्रवार.
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