Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on July 29, 2023, 06:21:50 PM

Title: मोहरम-शायरी-7
Post by: Atul Kaviraje on July 29, 2023, 06:21:50 PM
                                        "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर शायरी.

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कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है

ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
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                 (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-युनिक न्यूज ऑनलाईन.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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