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मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on November 15, 2024, 07:03:46 PM

Title: कार्तिक पूर्णिमा: महत्व, इतिहास और पूजा विधि-1
Post by: Atul Kaviraje on November 15, 2024, 07:03:46 PM
कार्तिक पूर्णिमा: महत्व, इतिहास और पूजा विधि (Kartik Purnima: Significance, History, and Rituals)-

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर का एक विशेष पर्व है जो हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को दीपावली के दूसरे दिन के रूप में भी मनाया जाता है और इसे गंगा स्नान, दान, पुजा, तपस्या, और धार्मिक अनुष्ठान के लिए समर्पित माना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (Significance of Kartik Purnima)
1. धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे गंगा स्नान का दिन भी कहा जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत में यह दिन गंगा नदी में स्नान करने के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा विश्वास है।

2. भगवान शिव का महत्त्व (Significance of Lord Shiva)
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है। विशेष रूप से त्रिपुरी महोत्सव और महाशिवरात्रि से जुड़े कथाएँ इस दिन की महिमा को और बढ़ाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की थी।

3. भगवान विष्णु का पूजा दिन
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु के वामन अवतार और कच्छप अवतार की पूजा होती है। विष्णु की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

4. गंगा स्नान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन गंगा नदी में स्नान करने के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुनाजी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। यह स्नान न केवल शारीरिक शुद्धता बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है। साथ ही, इस दिन दान और स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

5. त्रिपुरी महोत्सव
कार्तिक पूर्णिमा का दिन त्रिपुरी महोत्सव से जुड़ा हुआ है। इसे खासतौर पर भगवान शिव के भक्तों द्वारा मनाया जाता है। त्रिपुरी महोत्सव के दौरान भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इस दिन दीपों से अंधकार को नष्ट करके भगवान शिव की आराधना की जाती है।

कार्तिक पूर्णिमा के इतिहास से जुड़ी कुछ कथाएँ (Legends and Stories of Kartik Purnima)
1. भगवान शिव और त्रिपुरासुर की कथा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन की एक प्रमुख कथा त्रिपुरासुर से जुड़ी है। त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं से अपार शक्तियां प्राप्त की थी और वह अत्याचार करने लगा। जब भगवान शिव ने देखा कि देवता त्रिपुरासुर के अत्याचारों से पीड़ित हैं, तो उन्होंने त्रिपुरासुर का वध करने का निश्चय किया। भगवान शिव ने अपनी पशुपतास्त्र से त्रिपुरासुर को नष्ट कर दिया। उसी दिन को याद करते हुए कार्तिक पूर्णिमा को शिव की पूजा की जाती है।

2. राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि का वचन लिया था और तीन कदमों में ही समस्त पृथ्वी और आकाश को नाप लिया था। इस दिन को वामन द्वितीया भी कहा जाता है और राजा बलि का स्वागत करने के रूप में विशेष रूप से पूजा होती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.11.2024-शुक्रवार.
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