Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on December 24, 2024, 09:11:34 AM

Title: "पृष्ठभूमि में सूर्योदय के साथ एक समुद्र तट झूला"
Post by: Atul Kaviraje on December 24, 2024, 09:11:34 AM
सुप्रभात, मंगलवार मुबारक हो

"पृष्ठभूमि में सूर्योदय के साथ एक समुद्र तट झूला"

समुद्र के किनारे, जहां धरती मिलती है आकाश से,
वह झूला झूलता है, जहां स्वप्न और शांति बसते हैं।
मुलायम रेत पर नंगे पाँव चलते,
वो झूला जैसे कोई गीत गाता है, हलके-हलके बहते।

सूरज की किरणें धीरे-धीरे फैलती जाती हैं,
सोने की रोशनी में हर चीज़ निखर जाती है।
आकाश रंग-बिरंगे होते जाते हैं,
और समुंदर की लहरें उनका स्वागत करती हैं।

हैम्पॉक की हल्की झूलन में एक लय है,
जिसे समुंदर की लहरें और हवा गाती है।
सिर से पैर तक एक सौम्य राहत मिलती है,
हर लहर और आंधी में कुछ खास बात छिपी मिलती है।

सूर्योदय की सुनहरी किरणें जैसे ही आती हैं,
आकाश की चुप्पी को एक गहरे रंग से रंग देती हैं।
लाल, गुलाबी और सुनहरे रंगों में डूबा आकाश,
समुद्र भी उसी रंग में बसा जाता है, एक शानदार प्रकाश।

सागर की लहरें शांत लेकिन तेज़ होती हैं,
मानो हर एक लहर में एक संगीत बसी हो।
उनका संगीत, हल्का और गहरे,
मन को सुकून और शांति से भर देता है।

हवा में एक ठंडक है, पर दिल में गर्मी,
सूर्य की लहरों के साथ, ताजगी है हर नमी।
झूला धीरे-धीरे झूलता है, जैसे कोई स्वप्न,
जिसमें आप खो जाते हैं, और समय बेज़ुबान।

आशा और प्रेम के रंग बिखरे होते हैं,
आशापूर्ण उगते सूरज के साथ, हर धड़कन रुकती है।
चिड़ियाँ आकाश में उड़ती जाती हैं,
उनके पंखों में हल्की ध्वनि आती है।

पानी के साथ मिलकर, सूर्य की किरणें खेलती हैं,
आकाश और समुद्र के बीच जादू चलता है।
यह दृश्य नज़रों में समां जाता है,
हैम्पॉक में सोते हुए, यह अनुभव हर सांस में समाता है।

हर एक लहर की हलचल, हर एक किरण का जादू,
इस शांत वातावरण में आपको सिर्फ खुदा दिखता है।
सूरज अब पूरी तरह से आसमान में चढ़ता है,
और झूला अब तेज़ी से लहराता है, जैसे दिन और रात के बीच की दूरी पाटता है।

यह है वह जगह जहाँ शब्द खत्म हो जाते हैं,
जहाँ सच्ची शांति अपने पैरों पर खड़ी होती है।
सूर्य और समुद्र, झूला और हवा,
सारी दुनिया की चिंता यहाँ लहरों में खो जाती है।

समुद्र के किनारे, सूर्योदय के साथ झूला,
यह एक अद्भुत मर्म है, एक अलौकिक धारा।
इस क्षण में, मैं बस वहाँ होना चाहता हूँ,
जहाँ हर श्वास और हर धड़कन सिर्फ शांति से भर जाए।

--अतुल परब
--दिनांक-24.12.2024-मंगळवार.
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