शुभ दोपहर, बुधवार मुबारक हो
"प्राकृतिक प्रकाश वाली मेज़ पर कला की आपूर्ति"
मेज़ पर बिछा है रंगों का संसार, 🎨
ब्रश, रंग, कागज—सब कुछ तैयार।
प्राकृतिक प्रकाश से सजी ये जगह, 🌞
जहाँ हर कला का होता है अपना रंग और रुख। ✨
कागज पर चिपकते रंगों के छींटे,
जैसे जीवन के छोटे-छोटे पल संजोए जाए। 🌿
ब्रश से छूने पर बनते हैं चित्र,
हर रेखा में छिपे होते हैं अनगिनत विचार। 💭
रंगों की झलक, हल्का सा प्रकाश,
आकर्षित करता है हर एक आर्टिस्ट का पास।
स्वप्नों की दुनिया रचती जाती है, 🖌�
हर एक चटक रंग, आत्मा को छू जाता है। 🌈
यह मेज़ एक काव्य बन जाती है,
जहाँ हर कागज पर सृजन का ध्यान छुपा होता है।
प्राकृतिक रौशनी में हर दृश्य नया है, 🌅
यह हर कलाकार के लिए एक अवसर सा। 💫
यह कविता एक कलाकार के कार्यक्षेत्र की सुंदरता को दर्शाती है, जहाँ प्राकृतिक प्रकाश और कला की आपूर्ति मिलकर एक सृजनात्मक माहौल बनाती है। यहाँ हर रंग, ब्रश और कागज से एक नई दुनिया रची जाती है, जो कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 🎨🌞🌈
Symbols and Emojis:
🎨🌞✨🖌�🌿💭🌈🌅💫
--अतुल परब
--दिनांक-25.12.2024-बुधवार.
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