Marathi Kavita : मराठी कविता

मराठी कविता | Marathi Kavita => Hindi Kavita => Topic started by: Atul Kaviraje on January 24, 2025, 11:03:01 PM

Title: देवी दुर्गा के 'दशमहाविद्या' स्वरूप का अध्ययन-2
Post by: Atul Kaviraje on January 24, 2025, 11:03:01 PM
देवी दुर्गा के 'दशमहाविद्या' स्वरूप का अध्ययन-
(An Analysis of Goddess Durga's 'Ten Great Wisdom Forms')

नित्या (Nitya): नित्या देवी का रूप अनन्त, शाश्वत और निरंतर है। वे जीवन के हर रूप को अपने साथ लेकर चलती हैं और समय के अनुसार उसे परिवर्तन और पुनर्निर्माण करती हैं।

उदाहरण:
नित्या देवी की उपासना से व्यक्ति में जीवन की निरंतरता और बदलाव को स्वीकार करने की शक्ति विकसित होती है।

भुवनेश्वरी (Bhuvaneshwari): भुवनेश्वरी देवी सृष्टि की रचनाकार और पालनहार हैं। वह समग्र ब्रह्मांड की शक्तियों का संचार करती हैं और जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि लाती हैं।

उदाहरण:
भुवनेश्वरी देवी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख और शांति का आगमन होता है।

मातंगी (Matangi): मातंगी देवी कला, संगीत, और साहित्य की देवी मानी जाती हैं। वह ब्रह्मांड की कला और रचनात्मकता की शक्ति का प्रतीक हैं।

उदाहरण:
मातंगी देवी की उपासना से व्यक्ति में रचनात्मकता, कला और संगीत के प्रति प्रेम जागृत होता है और उसकी अभिव्यक्ति में प्रगति होती है।

कपालिनी (Kapalini): कपालिनी देवी का रूप विनाशक और रक्षक दोनों का होता है। यह रूप जीवन के कर्मों के परिणामों से जुड़ा होता है और जीवन में न्याय की स्थापना करता है।

उदाहरण:
कपालिनी देवी की पूजा से व्यक्ति अपने कर्मों के प्रति सजग रहता है और उसे जीवन में न्याय और सही मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा मिलती है।

लघु कविता:

दशमहाविद्या की शक्ति से महिमा बढ़ी,
शक्ति, ज्ञान, और भक्ति में हर रूप समाई।
काली से तारा, सिद्धिदात्री से भैरवी,
मातंगी से चिन्तपुरणी, जीवन है सुखमय। 🌸💫

अर्थ:
यह कविता देवी दुर्गा के दस रूपों की महिमा को दर्शाती है, जो शक्ति, ज्ञान, कला, और भक्ति का प्रतीक हैं। इन रूपों की पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

निष्कर्ष:

देवी दुर्गा के 'दशमहाविद्या' रूप न केवल शक्ति और साहस का प्रतीक हैं, बल्कि ये जीवन के सभी पहलुओं में सुधार और विकास का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हर एक रूप से हमें कुछ नया सिखने को मिलता है—चाहे वह मानसिक शक्ति हो, भौतिक समृद्धि हो, या आत्मिक उन्नति हो। देवी दुर्गा की दशमहाविद्या पूजा से हम अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करते हैं और जीवन में सच्ची समृद्धि प्राप्त करते हैं। यह दस रूप न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े हैं, बल्कि वे जीवन के प्रगति, सुधार, और संतुलन का प्रतीक भी हैं।

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--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-24.01.2025-शुक्रवार.
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