श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व-
(The Omnipresent Existence of Lord Vishnu)
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भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। वे सर्वत्र विद्यमान हैं – जल, थल, आकाश, हृदय और चेतना में। उनका यह सर्वव्यापक स्वरूप भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हर समय, हर स्थान पर उनके साथ हैं। इस भक्ति-भावपूर्ण कविता में, हम श्री विष्णु के इसी सर्वव्यापक अस्तित्व को सरल शब्दों में तुकबंदी के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं।
📜 हिंदी कविता —
श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व-
🌺 चरण 1
विष्णु बसे हैं कण-कण में, जल थल और आकाश,
हर जीव, हर मन, हर प्राण में, उनका है प्रकाश।
हर सांस में उनकी मूरत है, हर पल उनका नाम,
संसार के हर कोने में, गूंजता है विष्णु का धाम।
🔍 अर्थ: भगवान विष्णु हर स्थान, जीव, सांस और भाव में विद्यमान हैं। वे संपूर्ण सृष्टि में फैले हुए हैं।
🌿 चरण 2
जहाँ बहती है नदियाँ शांत, वहाँ विष्णु की छाया,
जहाँ खिलते हैं सुंदर फूल, वहाँ उनकी माया।
हर स्वप्न, हर भावना में, उनका ही निवास,
विष्णु की लहरों से चलता है, यह सारा प्रकाश।
🔍 अर्थ: प्रकृति के हर सुंदर दृश्य में भगवान विष्णु की उपस्थिति अनुभव की जा सकती है।
🌞 चरण 3
वेदों की गूंज में विष्णु हैं, मंत्रों की धुन में वे,
धर्म की राह पर चलने वाले, पाते हैं उनको सहज।
न्याय और करुणा में वे, सत्य के रक्षक बने,
हर युग में आते हैं प्रभु, अधर्म का विनाश करें।
🔍 अर्थ: विष्णु धर्म, वेद, सत्य और न्याय के रक्षक हैं, वे हर युग में अवतार लेकर अधर्म का नाश करते हैं।
🌌 चरण 4
शेषनाग पर लेटे जो, ध्यान में लीन सदा,
मन में जिनका चिंतन हो, मिलता सुख अपार।
भक्तों को जो शरण दें, अज्ञान मिटा दें,
ऐसे विष्णु सर्वव्यापक, जो प्रेम लुटा दें।
🔍 अर्थ: विष्णु ध्यान, प्रेम और शांति के प्रतीक हैं। जो उन्हें सच्चे मन से याद करता है, उसे अपार सुख और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
🌊 चरण 5
विष्णु के चरणों में है, मोक्ष की सच्ची राह,
भक्तों को जो अपनाते हैं, देते अमिट चाह।
कर्म, धर्म और स्नेह से, जो संसार चलाते हैं,
उनकी भक्ति में ही जीवन के अर्थ छिपे रहते हैं।
🔍 अर्थ: भगवान विष्णु की भक्ति से जीवन को मोक्ष और उद्देश्य प्राप्त होता है। वे कर्म और धर्म से संसार का संचालन करते हैं।
🌼 चरण 6
हर मंदिर, हर आरती में, उनका ही नाम,
गूंजे हर भक्त के दिल में, विष्णु का धाम।
जो न देखे नेत्रों से, वो भी कर सके अनुभव,
ऐसे हैं विष्णु, जो रहते हर आत्मा के संग।
🔍 अर्थ: विष्णु को केवल आंखों से नहीं, अपितु आत्मा से अनुभव किया जा सकता है। वे हर मंदिर और मन में वास करते हैं।
✨ चरण 7
जब जीवन में अंधकार हो, विष्णु बने दीपक,
जब मन हो व्याकुल, वे बनें शांति का स्वरुप।
प्रभु हर दिशा में बसते हैं, बस ध्यान लगाओ,
विष्णु की भक्ति में ही, ब्रह्म का दर्शन पाओ।
🔍 अर्थ: जब जीवन में संकट हो, विष्णु दीप बनकर राह दिखाते हैं। ध्यान और भक्ति से ईश्वर का अनुभव संभव है।
🎨 चित्र, प्रतीक और इमोजी
🌊 — विष्णु का जल स्वरूप
🕉� — आध्यात्मिक चेतना
🐚🌺 — विष्णु के प्रतीक (शंख, कमल)
🛕 — मंदिर और आरती
🌠 — सर्वव्यापकता का प्रतीक
🌟 संक्षिप्त भावार्थ (Short Summary)
यह कविता भगवान विष्णु की उस सर्वव्यापक उपस्थिति को दर्शाती है जो हर जीव, हर वस्तु, हर चेतना में विद्यमान है। वे सृष्टि के रक्षक हैं, धर्म के रक्षक हैं, और भक्तों के लिए सदा सहारा हैं। उनके चरणों में भक्ति, मोक्ष और प्रेम का संपूर्ण स्वरूप मिलता है।
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--अतुल परब
--दिनांक-23.04.2025-बुधवार.
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