"त्रिवेणी संगम" हा कवितेत एक नवीन प्रयोग करून बघितला आहे. यात पहिल्या दोन ओळीनंतर येणारी तिसरी ओळ कविता पूर्ण करते अन कवितेला नवीन अर्थ देते. नवीन प्रयोग आहे. काही कमी किंवा चूक झाली असेल तर कविते साठी चालवून घ्याव हि विनंती. ह्या कविता चार भागात पोस्ट करीन. आज भाग दूसरा. आवडल्यास रिप्लाय पोस्ट करावा.
त्रिवेणी संगम - १ http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6363.0.html (http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6363.0.html)
हार्ट अट्याक येऊन गेला मोठा
ओपन हार्ट सर्जरी केली म्हणे
अरे! मी तर समजत होतो माझ रुधय तुझ्याकडे आहे!
------------------------------------------------------------------
विचारांनी डोक्यात नुसता कोलाहल माजवलाय
झोप लागत नाही रात्ररात्र मनाच्या अक्रोशानी
कोण म्हणत रात्री निरव शांतता असते म्हणून?
------------------------------------------------------------------------
अरे वा! किती वर्षांनी भेटलात. बर वाटल.
काय म्हणतोस? प्रमोट झालास? गाडी घेतलीस? छान छान!
हल्ली एक हसरा मुखवटा सतत बरोबर बाळगलाय
--------------------------------------------------------------------------
फेसबुक मुळे किती फायदा झालाय ना?
न भेटताच सगळ्यांशी टच मध्ये रहाता येत. सतत.
हल्ली मुखवटे चढवायलाच लागत नाहीत.
----------------------------------------------------------------------------
केदार....
त्रिवेणी संगम - ३ http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6386.0.html
त्रिवेणी संगम – 4 http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6395.0.html (http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6395.0.html)