रामपारी उठतो | घुंघर काठी धरतो ||
घोंगडे पांघरोनी | वनी गोधने राखितो ||
तो हा बाल गोपाळ | नंदा घरचा || १ ||
वाटे अडवितो | दहि मटके फोडीतो ||
गोपी वस्त्रे पळवोनी | वेणु नादे भूलवितो ||
तो हा मनोहर | रमण राधेचा || २ ||
गुलाल खेळतो | प्रेमरंगे भिजवतो ||
शरदे वृन्दावनी | रासक्रीडेत रमतो ||
तो हा मुरलीधर | प्राणनाथ गोपिकांचा || ३ ||
डोही उतरतो | कालिया नमवतो ||
मथुरेस जावोनी | कंसास वधतो ||
तो हा जगजेठी | कान्हा देवकीचा || ४ ||
पोहे सुदाम्याचे घेतो | आवडी चाखीतो ||
उद्धव गोकुळ धाडोनी | प्रेमयोगे ज्ञान देतो ||
तो हा पुरषोत्तम | वर रुक्मिणीचा || ५ ||
वसने पुरवितो | दिन द्रौपदी रक्षितो ||
गीता उपदेशोनी | कर्तव्ये जाण देतो ||
तो हा जगदीश | सखा पांडवांचा || ६ ||
वाळवंटी नाचतो | भक्तिरसात डुंबतो ||
चाकर होवोनी | संत अंगणी राबतो ||
ऐसा चक्रपाणी | माझा राणा वैकुंठीचा || ७ ||
atishay surekh....
फारच सुंदर शब्दकळा
khup chan abhang.....