मेरे दिल की कश्ती

Started by aditya joshi, February 06, 2015, 07:20:42 PM

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aditya joshi

मेरे दिल की कश्ती

मेरे दिल की कश्ती मे कोई रहता था 
नाजाने वो क्या कहता था
तुम हस्ती हुई बहुत अच्छी लगती हो
ना जाने तुम मुझे अपनी सी क्यु लगती हो
एक दिन ऐसा हुआ
मै अपनी उजरी बस्ती मै कामियाब हुआ
तब दिल  मेरा हैरान हुआ
तब ना जाने वो मुझे अनंजना सा क्यु हुआ
जिसे मान था अपना दिलबर वही दिल का मेहमान हुआ
मेहमान तो आते जाते रहते
पर उस दिलबर के कारन
इस दिल का खूब नुकसान हुआ..........




कवि : आदित्य जोशी
        9967904749