* तेरे शहर में *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, February 16, 2015, 07:14:42 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

कुछ आधे अधुरे ख्वाब
अपनी आँखोमे लिए हम
तेरे शहरमें आए है
अब देखना ये है के
तु जगह दिलमें देती है
या सिर्फ अपनी यादोंमे...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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