* हम ना होंगे *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, April 01, 2015, 02:32:50 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

सोच ले गर हम ना होंगे
तो तेरी महफिल में रंग कौन भरेंगे
चारोतरफ मायुसी के सन्नाटे होंगे
और तुम्हारी आँखोमे अश्क होंगे.
कवी-गणेश साळुंखे.
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