My Hindi Poem -- इल्तजा --

Started by SHASHIKANT SHANDILE, June 30, 2015, 02:54:25 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

तेरे लबोकी गुलाबी रंगत
हसीं मोहोब्बतकी संगत
सनम तेरे चाहतके दमसे
आजभी है जुडा ये बंधन

सोचता हु गर तू ना होती
जिंदगी खुशनुमा ना होती
तेरे चाहतसे बंधी जिंदगी
चाहतकी निशानी ना होती

हु खुशनसीब पाकर तुझे
मिला जो ये तोहफा मुझे
बस यही इल्तजा है मेरी
कभी भूल ना जाणा मुझे

दिलकी धडकनमे समाई
हमारे चाहतकि खुमारी
जिंदगीभर तुम्हारा साथ
यही एक आरजु हमारी

शशिकांत शांडीले (SD), नागपूर
Mo. ९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!