* बुरे हम नही *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, August 14, 2015, 12:57:58 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

हम इतने भी बुरे नही
जितना के वो हमें समझती है
कंबख्त यही तो परेशानी है
के वो समझकर भी कहा समझती है.
कवी-गणेश साळुंखे.
Mob-7715070938