* लोग *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, August 23, 2015, 06:06:19 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

सुनकर भी अनसुना कर देते है लोग
जबतक बात उनके मतलबकी ना हो
जरासी बात तुम उनके मतलब की करो
तो घेरा डाल इकठ्ठा हो जाते है लोग.
कवी-गणेश साळुंखे.
Mob-7715070938