* एक मोहब्बत *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 20, 2015, 11:02:10 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

क्या इतना बडा गुनाह हुआ हमसे
जो देखा ना गया इस जमानेसे
एक मोहब्बत ही तो हुई थी हमसे
जो साँसे ही छिन ली हमारी हमसे.
कवी - गणेश साळुंखे.
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