* शुक्रगुज़ार *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 03, 2015, 09:18:23 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

में शुक्रगुजार हुँ ए खुदा तेरा
के तुने मुझे इतने गम दिए
फिर भी लगता है के कम दिए
                क्योंकि
जो तु मेरा इम्तिहान ना लेता
तो में आज काबिल ना होता
यही कहीं अंधेरोंमें भटकता रहता.
कवी - गणेश साळुंखे.
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