* एक दिवाना *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 22, 2015, 12:55:02 PM

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कवी-गणेश साळुंखे


एक दिवाने की शादी हो रही थी
बेशक किसी और से ही हो रही थी
क्योंकि उसकी मोहब्बत उसे रुसवा कर
किसी और की कबकी हो चुकी थी

फिर भी वो दिवाना खामोश था
बेशक दिलमें भरा तुफान था
मंडप में मुस्कुराए जा रहा था
अंदर ही अंदर रोए जा रहा था

महबूबा की शादी में भी ना हुआ
वो दर्द उसे अपनी शादी में हो रहा था
फिर भी वो खुशी-खुशी सबके सामने
हँसता हुआ नम आँखों से खडा था

तभी कहीसे एक बादल गरजा
बेमौसम वो बादल बरसने लगा
शायद उस दिवाने की हालत पर
वो आसमान भी रोने लगा

तब जाके वो दिवाना बारीश में
हँसती आँखों से आँसू बहाने लगा
देखो उपरवाला भी हमें आशीर्वाद
दे रहा है ये अपनी दुल्हन से कहने लगा.
कवी - गणेश साळुंखे.
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