* किनारा *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 30, 2015, 11:23:39 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

देख सकते हो देखो
आकर तुम हाल मेरा
मानो जैसे डुब रहा हुँ
और सामने हैं किनारा.
कवी - गणेश साळुंखे.
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