* दिल और दिमाग *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, November 17, 2015, 10:30:24 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

दिल की सुनु या दिमाग की
इसी कशमकश में हुँ यारों
दिल तो उसे चाहता है बेपनाह
पर दिमाग भुलता नहीं उसके गुनाह.
कवी - गणेश साळुंखे.
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